हरियाणा बेरोजगारी कि मार, राज्य कर्मचारी क्षमता दर चिंता का विषय है
हरियाणा में राज्य की कर्मचारी क्षमता समय के साथ तालमेल नहीं बैठा रही है. रोजगार के मामले में प्रदेश के युवा विकल्प के आभाव में धक्के खा रहे है. वास्तव में सरकारी रोजगार के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले तीन दशकों में इसमें भारी गिरावट आई और प्रति 100 लोगों पर न केवल कुल सरकारी कर्मचारियों में कमी आई है बल्कि कुल संख्या में भी भारी कमी आई है. हरियाणा में युवाओ के लिए यह एक चिंता का विषय बना हुआ है .बेरोजगारी की दर पांच महीने में सबसे ज्यादा होने पर हरियाणा का बुरा हाल है.
बेरोजगारी में हरियाणा बना नंबर वन
CMIE ने 3 जनवरी को दिसबंर 2021 तक के बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए थे. आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा 34.1 प्रतिशत है, राजस्थान में 27. 1 प्रतिशत, झारखंड में 17.3 प्रतिशत, और बिहार में 16 प्रतिशत बेरोजगारी है. आंकड़े सुनकर CM खट्टर सकपका गए हरियाणा में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा के आंकड़े जारी करने वाली संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का जुमला कहकर विषय से पल्ला झाड़ लिया. हरियाणा में बेरोजगारी दर 34.1%, यह देश में सबसे ज्यादा होने पर विश्लेषकों ने चीन जताई.
वर्ष 1991 में राज्य की आबादी करीब 1.25 करोड़ थी तब हरियाणा सरकार में 4 लाख कर्मचारी कार्यरत थे. इसका अनुवाद प्रति 31 लोगों पर लगभग एक सरकारी कर्मचारी या प्रति 100 जनसंख्या पर केवल तीन से अधिक सरकारी कर्मचारियों के रूप में हुआ. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आज हरियाणा की आबादी बढ़कर लगभग 3 करोड़ हो गई है, जबकि राज्य के सरकारी कर्मचारी घटकर केवल 2.85 लाख रह गए हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि सरकार के पास औसतन प्रति 100 लोगों की आबादी पर केवल एक कर्मचारी है.
CMIE’ की मई-अगस्त 2022 की बेरोजगारी रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के शहरी केंद्रों में औसत बेरोजगारी दर 28.3% दर्ज की गई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 26.1% दर्ज की गई थी। “पिछले दो महीने कृषि के लिए निराशाजनक रहे हैं। इसलिए, अगस्त में अधिक लोगों ने नौकरियों की तलाश में शहरों की ओर रुख किया लेकिन यहाँ भी युवाओ को निराशा मिली क्योकि अब शहरों में नौकरी नहीं है क्योंकि उद्योग मंदी से जूझ रहे हैं। बढ़ती महंगाई के कारण बड़ा असंतुलन पैदा होता जा रहा है. यह परिस्थिति चिंताजनक है.