खेल के क्षेत्र में गांवों में अपार संभावनाएं हैं । लगभग हर गांव में होनहार युवाओं की फौज मिल जाएगी । भारत देश में ग्रामीण आबादी बहुत ज्यादा है । इन क्षेत्रों में लोगों का जीवन बहुत संघर्षशील रहता है । उनमें शुरू से ही पसीना बहाने की आदत बन जाती है । ये संघर्षशील आदत ही उनको खेलों में आगे बढ़ने में काम आती है । हरियाणा के लगभग हर गांव में सुबह शाम खेल के मैदान खिलाड़ियों से भरे मिलेंगे ।

खिलाड़ियों ने मैडलों की झड़ी लगा दी
इनको सिर्फ तरासने की जरूरत है और इसके लिए इन्हें जरूरत है अच्छे कोच और अच्छी सुविधाओं की । जहां भी खिलाड़ियों को अच्छी सुविधाएं मिली हैं वहां खिलाड़ियों ने मैडलों की झड़ी लगा दी है । जब भी किसी गांव से खिलाड़ी मेडल लेकर आता है तो गांव में उसका योद्धा की तरह सम्मान होता है । यही सम्मान पाने की होड़ ही खिलाड़ियों को आकर्षित करती है । हर बड़ा खिलाड़ी अपने गांव और अपने खेल के मैदान से हमेशा जुड़ाव रखता है और नये खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करने में लग जाता है ।
हरियाणा के ऐसे अनेकों गांव हैं जैसे सिसाय , निडाणी, पाई, रिढाणा,बांस, रामराय, पोंकरी खेड़ी, इक्कस, राजपुरा भैंण, मिर्चपुर आदि अनेकों नाम हैं जिनकी लिस्ट बहुत लंबी है । इन गांवों में रामराय गांव एक ऐसा गांव है जो तैराकी गांव के नाम से जाना जाता है । इस गांव में युवाओं ने गांव के धार्मिक तीर्थ को ही अपना तैराकी पुल बना लिया है । सुबह शाम बच्चे खुब तैराकी करते हैं और बिना सरकारी सहायता के यहां से कयी अच्छे खिलाड़ी निकले हैं ।
खिलाड़ियों ने मैडलों की झड़ी लगा दी
आज इस गांव की स्थिति ये है कि दिल्ली, गुरूग्राम, नोएडा और फरीदाबाद के स्विमिंग पुलों पर 80 से 90 % लाइफ़ गार्ड और कोच रामराय गांव से मिलेंगे । रामराय गांव के ही कोच विनोद ने अब खेल स्टैंडर्ड के हिसाब से ही और गांव के सहयोग से बच्चों की नर्सरी खड़ी कर दी है । ये बच्चे अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों से तैयारी करते हैं । वो दिन अब दूर नहीं है जब यहां के खिलाड़ी ओलंपिक में खेलते हुए दिखाई देंगे । अगर सरकार इन खिलाड़ियों को अच्छी सुविधाएं और कोच उपलब्ध कराएगी तो ये खिलाड़ी विदेशों में अपने देश के नाम का डंका बजा देंगे और चाइना और अमेरिका को मेडलों की तालिका में पछाड़कर शीर्ष पर होंगे ।